– श्रीश्री बालाजी सेवा समिति ने कराया सामूहिक विवाह
पहाड़ का सच, देहरादून।
श्री श्री बाला जी सेवा समिति की ओर से रविवार को 52 निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह कराया गया। समिति ने कन्याओं को जरूरत का सामान दान के रूप में दिया। बरमाला से लेकर फेरों तक पांडाल मांगल गीतों से गुंजायमान रहा।
शनिवार को कालिका मंदिर मच्छी बाजार से जब बारात निकली तो सब देखते रह गये। एक साथ 52 दूल्हे घोडों पर बैठ कर हिन्दू नेशनल स्कूल को निकले। एक के बाद एक दूल्हा कतार में देख रास्ते में महिला-पुरुष खडे हो गये और बारात गुजरने तक देखते रहे। बारात डिस्पेन्सरी रोड, दर्शन लाल चौक, घण्टाघर, पल्टन बाजार, सामावाला, झण्डा बाजार सहारनपुर चौक होते हुये हिन्दू नेशनल स्कूल पहुंची जहां समिति के पदाधिकारियों और बेटियों के परिजनों व मेहमानों ने बारातियों का जोरदार स्वागत किया।
इसी के साथ वैवाहिक रस्में पूरी की जानें लगीं। इससे पहले समिति के अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल ने कहा ‘कन्या दान महादान है” और यह सामूहिक विवाह का कार्य सभी के सहयोग से पूरा हो सका है। उन्होंने कहा अगले वर्ष 101 कन्याओं का विवाह करवाने का प्रयास किया जायेगा। कार्यक्रम में भारत मयूर टी०बी० कलाकारों द्वारा “रिस्तों की मेन्हदी आज लगी है सजनी तेरे हाथ में-तू खुश रहना अपने साजन के साथ में” आदि कई गीतों पर नृत्य प्रस्तुत कर आम जनता को भाव विभोर कर दिया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, विधायक राजपुर खजाजदास, खरियाल भारतीय अन्र्तराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के अशोक अग्रवाल, वैश्य महासम्मेलन के उत्तराखंड अध्यक्ष रामगोपाल गोयल, नितिन जैन सहित शहर के प्रतिष्ठित लोगों ने वर-वधु को आर्शीवाद दिया। इस मौके पर समिति के संरक्षक राजकुमार अग्रवाल, आर. के. गुप्ता, स्वर्ण वर्मा, फूल भूषण अग्रवाल, संजय बंसल, दीपक सिंघल, अश्वनी अग्रवाल, अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल, संजय अग्रवाल, मनोज खण्डेलवाल, मो पी गुप्ता, सचिन गुप्ता चन्द्रेश अरोडा, आबांकर रघुवंशी, मनमोहन लखेड़ा, राजेश चौरसिया, पंकज चांदना, मनोज गोमल, मनीषमैलवाल, विजय बिष्ट प्रेम क्षेत्री, रामपाल धीमान, राजीव गुप्ता धर्मपाल धीमान, सुनील शर्मा कविता खण्डेलवाल, ममता में बराती और घराती मौजूद विनय शर्मा, योगेन्द्र वर्मा, अनुराग अग्रवाल, कविता अग्रवाल गर्ग, कंचन लखेडा, रीता अग्रवाल, भावना विष्ट समेत बड़ी संख्या रहे। .विदाई के दौरान नम हुई आंखें
सामूहिक विवाह में दूल्हा-दुल्हन के माता-पिता और रिश्तेदार मौजूद रहे। दिन भर के पूरे समारोह में उमंग और उत्साह का माहौल रहा, लेकिन शाम पांच बजे सभी कन्याएं विदा हुई तो एक बार के लिए सभी की आँखें नम हो गईं। माता-पिता को जितनी बेटी के नाते जीवन की खुशी हो रही थी, उतनी ही लाडली के अपने से दूर होने का गम।