– आरोपी को क्लीन चिट देना शासन से उनकी मिलीभगत को उजागर करता है – कोर्ट
– उधमसिंहनगर के जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका पर भी सवालिया निशान
पहाड़ का सच हल्द्वानी।
हल्द्वानी की भ्रष्टाचार निरोधक विशेष अधिनियम के तहत गठित अदालत के विशेष न्यायाधीश द्वितीय अपर सेशन जज नीलम रात्रा ने बहुचर्चित एनएच-74 जमीन घोटाले पर तीखी टिप्पणी करते हुए आरोपी पीसीएस दिनेश प्रताप सिंह को शासन की ओर से मिली क्लीन चिट को खारिज कर दिया।
न्यायाधीश नीलम रात्रा ने घोटाले से जुड़े कई बिंदुओं पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी दिनेश प्रताप सिंह व अन्य पर मुकदमा चलेगा। साथ ही अपने आदेश में कहा है कि आरोपी को क्लीन चिट देना शासन से उनकी मिलीभगत को उजागर करता है।कोर्ट के आदेश के बाद शासन से जुड़े वे अधिकारी भी कठघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं जिन्होंने जमीन के मुआवजे से जुड़े करोड़ों के घोटाले के आरोपी डीपी सिंह को क्लीन चिट देने में मुख्य भूमिका निभाई।
गौरतलब है कि जून 2024 में शासन की जांच रिपोर्ट में दिनेश प्रताप सिंह को क्लीन चिट दी गयी थी।
बताते चलें कि हरिद्वार से सितारगंज तक 252 किमी एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए वर्ष 2012-13 में प्रक्रिया शुरू की गई थी। कुछ किसानों ने आरोप लगाया था कि अफसरों, कर्मचारियों व दलालों से मिलीभगत कर बैकडेट में कृषि भूमि को अकृषि दर्शाकर करोड़ों रुपये मुआवजा हड़प लिया गया। कोर्ट ने 23 सितम्बर के अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि- ऐसे में यहाँ पर यह न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट, ऊधमसिंह नगर द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र कागज संख्या 272ख, जिस पर अभियोजन द्वारा बल दिया गया, में कोई बल नहीं पाती है तथा इस स्तर पर विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही में बरी होने के आधार पर अभियुक्त को इस आपराधिक मामले में बरी नहीं किया जा सकता है तथा न्यायालय इस सम्बन्ध में विस्तृत मत प्रकट कर चुकी है कि शासन के पास इस स्तर पर अभियोजन स्वीकृति वापस लेने का कोई अधिकार मौजूद नहीं था।
अतः उपरोक्त विवेचन के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट, उधमसिंह नगर द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र 272ख, जिसे अभियोजन द्वारा बल दिया गया, हर लिहाज में खारिज किये जाने योग्य है। इधर, न्यायाधीश ने उधमसिंहनगर के जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि लगता है कि वे आरोपी डीपी सिंह की पैरवी में उतर आए हैं। कई पेज के आदेश में जज ने सिस्टम को जमकर लताड़ा।अदालत ने साफ कहा है कि डीपी सिंह पर मामला चलेगा।
शासन ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य आरोपी पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह को सभी आरोपों पर क्लीन चिट दे दी थी। यही नहीं उनके खिलाफ चल रही अनुशासनिक कार्यवाही को बिना किसी दंड अधिरोपण के खत्म कर दिया गया है। साथ ही न्यायालय में उनके खिलाफ अभियोजन चलाने की पूर्व में दी गई अनुमति को भी निरस्त कर दिया गया था।
इधर, 2017 में सामने आए इस सनसनीखेज घोटाले में सितम्बर 2018 में दो आईएएस पंकज पांडे और चंद्रेश यादव निलंबित किये गए थे। दोनों यूएसनगर के डीएम रहे हैं। हालांकि, बाद में दोनों को क्लीन चिट मिल गयी थी। जमीन के मुआवजे में लगभग 500 करोड़ का भुगतान कर सरकारी खजाने को जबरदस्त चोट पहुंचाई गई थी।
इस मामले में ईडी 7 आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। वहीं, कोर्ट ने सातवें आरोप पत्र का भी संज्ञान लिया था। साथ ही सात लोगों को समन भेजा है। इसमें पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह, तत्कालीन एसडीएम काशीपुर दिनेश भगत, पूर्व तहसीलदार मदन मोहन समेत कुछ निजी कंपनी के लोग शामिल थे। इस मामले की सुनवाई दो दिसंबर को तय की गई है।