पहाड़ का सच उत्तरकाशी।
उत्तराखंड को यू ही नहीं देवभूमि कहते हैं, आज भी ऐसे चमत्कार देखने को मिल जाते हैं, जिनपर सहसा ही विश्वास करना मुश्किल होता है। ऐसे ही वाक्या उत्तरकाशी के सरनौल गांव का है। यहां सरुताल से लौट रही देव डोलियां जैसे ही पंचायत चौक पहुंची, वहां देव डोली के दर्शन को करीब पांच फीट लम्बा सांप अवतरित हो गया।
यह देख ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। लेकिन इससे पहले ही देव डोलियों के साथ चल रहे पांडव पशवा (जिस व्यक्ति पर देवता अवतरित होता है) ने सांप को उठाया और देव डोली से भेंट कराने के बाद गले में डालकर सांप के साथ नृत्य करने लगे। इस नजारे को देख हर कोई हैरान रह गया। बाद में देवता के पशवा ने सांप को हाथ में लेकर सभी को नाग देवता के रूप में आशीर्वाद दिया और दूध पिलाने के बाद सांप को मन्दिर परिसर में ही विदा कर दिया। इस घटना से ग्रामीणों के बीच दिनभर कौतूहल का माहौल रहा।
उत्तरकाशी जिले की रवाईं घाटी के सुदूरवर्ती सरनौल गांव अनोखे पांडव नृत्य के चलते देशभर में महाभारत कालीन संस्कृति की पहचान रखता है। दिल्ली और भोपाल में यहां के पांडव पश्वाओं की ओर से अद्भुत और अकल्पनीय देव नृत्य की प्रस्तुति ने देशभर में अलग पहचान बनाई है। लेकिन शनिवार को देव डोली रेणुका देवी, जमदग्नि ऋषि की उपस्थिति में नागराज के दर्शन ने सरनौल को फिर चर्चाओं में ला दिया है। हुआ यूं कि गांव के पास ही सरुताल बुग्याल है। जहां ग्रामीण देव डोलियों और पांडवों को लेकर यात्रा पर गए थे। जहां से शनिवार को गांव लौट आये थे। यहां देवता की थाती यानी देवस्थल पर पहुंचते ही देव डोली के सामने करीब पांच फीट लम्बा सांप प्रकट हो गया। यह देखते ही देवताओं के साथ सैकड़ों की संख्या में जुटी ग्रामीणों के बीच हड़कंप मच गया।
लेकिन इससे पहले ही पांडव पशवा ने सांप को उठाकर पहले देव डोली से भेंट कराया और फिर अपने गले में डाल दिया। यह नजारा देख ग्रामीण हैरान रह गए और सांप के डर से इधर-उधर भागने लगे। लेकिन देवता के पशवा ने अपनी भाषा में सांप को नागराज का रूप बताया तो सभी के शीश झुक गए और देव डोली के पास जाने लगे। इसके बाद पांडव पशवा ने सांप को हाथ में लेकर ग्रामीणों को आशीर्वाद दिया। बाद में ग्रामीणों ने सांप को दूध पिलाकर और पूजा अर्चना कर मंदिर परिसर में विदा कर दिया है।
मां रेणुका मन्दिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बिजेंद्र राणा ने कहा कि यह सब देवता का रूप है। मां रेणुका और भगवान जमदग्नि के दर्शन को ही नाग देवता अवतरित हुए हैं।