पहाड़ का सच देहरादून।
ठेकेदार से घूस मांगने के मामले में विजिलेंस की स्पेशल कोर्ट ने सिडकुल के जेई (अवर अभियंता) को 05 साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है। दोषी पर 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया।
16 जुलाई-2010 को एक व्यक्ति ने विजिलेंस के देहरादून सेक्टर कार्यालय में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि वह सरकारी विभागों में डी श्रेणी का ठेकेदार है। उसकी फर्म ने हरिद्वार में फायर स्टेशन का निर्माण व सुधारीकरण का कार्य किया। आरोप था कि भुगतान के लिए अवर अभियंता सुधाकर त्रिपाठी से अनापत्ति पत्र मांगा गया तो त्रिपाठी ने इसकी एवज में 25 हजार रुपये रिश्वत की मांग की।
शिकायत पर जांच के बाद सतर्कता अधिष्ठान की ट्रैप टीम ने 17 जून-2010 को आरोपित सुधाकर त्रिपाठी को रंगे-हाथ गिरफ्तार कर लिया। उसके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। तभी से मामला सतर्कता न्यायालय में विचाराधीन था। शनिवार को मामले में अंतिम सुनवाई हुई। अभियोजन अधिकारी धर्मेंद्र आर्य ने बताया कि विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (गढ़वाल परिक्षेत्र) ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपित सुधाकर त्रिपाठी को दोषी करार देते हुए 05 वर्ष सश्रम कारावास व 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
सतर्कता निदेशक वी. मुरुगेशन ने आमजन से अपील की है कि यदि सरकारी विभागों में नियुक्त अधिकारी या कर्मचारी किसी प्रकार का दबाव बनाकर रिश्वत की मांग करता है, तो इसकी शिकायत सतर्कता अधिष्ठान के टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर-1064 या वाट्सएप हेल्पलाइन नंबर 9456592300 पर की जा सकती है। जनता के सहयोग से भ्रष्टाचार पर करारी चोट की जा सकती है।