– पूर्व सीएम तीरथ बोले, थोपने का काम मत करना सभी से बात कर फैसले लें,अब जनता आगे आ गयी
– पार्टी के फैसलों को कठघरे में खड़ा किया, चुनावों में थोपे गए नेताओं पर पार्टी नेतृत्व को घेरा, कहा, जमीन मत छोड़ो
– कहा, मुख्यमंत्री धामी का छात्र जीवन से संघर्ष जानता हूं, पंद्रह साल राज करेंगे
पहाड़ का सच,देहरादून।
एक दशक से अधिक वक्त तक चला सत्ता का तिलिस्म टूटने लगा तो फैसलों को लेकर अपनों ने भी नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने लोकसभा व विधानसभा उप चुनाव में पार्टी के फैसलों को अपने अंदाज में बयां कर कठघरे में खड़ा कर दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में तीरथ सिंह रावत के दो टूक भाषण के बीच कार्यकर्ताओं ने कई बार तालियां बजाईं । तीरथ ने पार्टी की ओर से थोपे गए नेताओं के मुद्दे पर दो टूक कहकर सतारूढ़ दल की अंदरूनी राजनीति को गरमा दिया है।
तीरथ ने साफ शब्दों में कहा कि थोपने का काम मत करना। सभी से बात कर व सलाह मशविरा के बाद ही फैसले होने चाहिए। पूर्व सीएम के भाषण से हाल में तालियां बजीं। रावत का इशारा हालिया बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव की ओर था। यही नहीं, लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के दर्द भी उनके इस वक्तव्य से उभरा। तीरथ की जगह अनिल बलूनी को पौड़ी लोकसभा सीट से टिकट दिया गया। तीरथ को साल 2022 में मुख्यमंत्री पद से हटाया और 2024 में उनका लोकसभा का टिकट भी काट दिया गया।
नेता थोपने के सवाल को आगे बढ़ाते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि अब जनता आगे आ गयी है और नेता पीछे हो गए हैं। उनका कहना है कि भाजपा नेता आधारित नहीं कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। कार्यकर्ता मेहनत कर रहा है। कहते हैं जमीन मत छोड़ो, जो आज कुर्सी पर हैं कल नहीं रहेंगे। जो कल आगे थे आज पीछे बैठे हुए हैं, जो पीछे थे वो आज आगे हैं। लिहाजा, कार्यकर्ता की बात सुनी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री धामी से अपने सम्बन्धों का जिक्र करते हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा कि जब वो यूपी में विधान परिषद के लिए चुने गए थे तब पुष्कर धामी कानून की पढ़ाई (लखनऊ विवि) कर रहे थे। इनके संघर्ष को वे बखूबी जानते हैं।उन्होंने कहा कि पुष्कर जब सीएम बने तो उन्होंने कहा था कि 6-7 महीनों के लिए सीएम नहीं बने हो। बल्कि 15 साल के लिए कार्य करो। पुष्कर दोबारा सरकार लाकर पुराने मिथक को तोड़ने में कामयाब हुए।
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के खुले अंदाज पर खूब तालियां बजी। कार्यकर्ता बेबाकी से कही बातों पर वाहवाही करते नजर आए। रावत ने पार्टी में थोपे गए नेताओं के मुद्दे पर नेतृत्व को खरी खरी सुनाई ही नहीं बल्कि यह कहकर सभी को चौंका दिया कि सभी से बात कर व सलाह मशविरा से फैसले होने चाहिए। चूंकि कि अब जनता आगे आ चुकी है।
पूर्व सीएम ने संकेतों में सब कुछ कहकर लोकसभा चुनाव में अपना टिकट कटने और दोनों उपचुनाव में पार्टी की परफॉर्मेंस पर भी सवालिया निशान लगा दिया।लम्बे अर्से बाद भाजपा की किसी बड़ी बैठक में किसी प्रमुख नेता के दिल से निकली यह आवाज पुराने व निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ताओं को नयी ऊर्जा दे गई।